किसी ने खूब कहां है, ज्ञान किसी से भी मिले लेना चाहिये. कभी किसी से भेद-भाव नही करना चाहिये. अक्सर लोग भेद- भाव के चलते ज्ञान को ठुकराते है. और अच्छे ज्ञान से वंचित रहते है.
आज ईस ब्लॉग के माध्यम से भगवान श्रीराम से सिखने वाली बातें जानेंगे. जो हर एक को जीवन मे खुशिया प्रदान करती है. ये बातें अमृत के समान है. ज्ञान का भंडार है. आप इसे ब्रम्ह ज्ञान भी कह सकते है. इस ज्ञान को ग्रहण करने वाला मनुष्य कभी दृह व्यवहार नही करता. यह ज्ञान बुराई के रास्ते पर अग्रेसर मनुष्य को सही रास्ता दिखायेगा.
कहते है, प्रभू श्रीराम का जन्म हुआ तब धरती पर खुशियों को बरसात हुई थी. चारों दिशायें, दिन-रात सभी प्रभू श्रीराम के दर्शन हेतू ललाहीत थे. सारी प्रकुती जैसे श्रीराम के आगमन हेतू पहले से ही तैयार थी.
ऐसे महान ज्ञानी, मर्यादा पुरूषत्तम प्रभू श्रीराम जी से सिखने वाली अनंत बाते है. लेकीन हम यहा मुख्य महत्वपूर्ण बाते जानेंगे.
प्रभू श्रीरामजी से सीखने वाली कीमती बातें..
1) हमेशा विनम्र रहे :
विनम्र मनुष्य हमेशा लोगोंको पसंद होते है. यह किमती स्वभाव प्रभू श्रीराम जी का था. वह हमेशा विनम्र रहते थे. कभी उन्होने अपना संतुलन खोया नही. खुद की पत्नी का हरण होने के बावजुद, उन्होने संयम और विनम्र से रावण से बात की. रावण का वध करने से पहले उन्हीने रावण को सुधरने के कही मौके दिये, लेकीन रावण सुधरा नही. अंत: रामजी को रावण का वध करना पडा.
जब उन्हे वनवास भेजा गया, तब वह किसी से नाराज नही थे. आपनों के खुसी के लिये वह विनम्रता से वन मे चले गये. श्रीरामजी का यह गुण हमेशा सब को अपनाना चाहिये. आपकी अधिकांश समस्याऐं इसी गुणों के वजह से कम होगी.
2) दिमाक को शांत रखे
भगवान रामजी से सीखने वाली दुसरी बात ये है कि, अपना दिमाक हमेशा शांत रखे. कभी अपने दिमाक का संतुलन खो न बैठे. कितनी भी विपरीत परिस्थितियाँ हो, अपने दिमाक को शांत रखे. संयम से विचार करे. उसके बाद ही निर्णय ले. आपका काम कभी विफल नही होगा.
श्रीराम जी को युवा अवस्था मे ही राजपाठ छोडना पडा. आपनों से दूर होनां पडा. वन मे उन्हे तकलीपे सहनी पडी. उनके पत्नी का हरण हुआ. इतना होने के बावजुद उन्होने अपने दिमाक को विचलित नही किया. रावण और उसके राक्षस मायावी युद्ध करते थे. लेकीन राम ने कभी अधर्म से युद्ध नही किया. उन्होने अपने दिमाक को शांत रखकर उनसे युद्ध किया. इस स्वभाव को हर किसी को अपनाना चाहिये. इससे कभी किसी से झगडा नही होगा. अधिकांश समस्या ऐसे ही भाग जायेंगी.
3) एकता बनायें रखे
भगवान रामजी से सिखने वाली तिसरी बात ऐं है कि, हमेशा एकता बनाये रखे. चाहे वह घर मे हो या समाज मे. इसे हमेशा बांधकर रखे. उसे कभी तोडना नही. रामजी ने हमेशा अपने भाईयों के बीच एकता बनाई रखी. इसलिये उनके पीछे उनके भाई हमेशा परछाई की तरह साथ रहे.
रामजी भगवान होते हुये भी हमेशा मनुष्य बने रहे. उन्होने कभी मर्यादा नही छोडी. बूढ़ी शबरी नीचे जाती की थी. लेकीन राम उनसे मिले तब भगवान और भक्त का मिलन देखने लायक था. ये अद्भुत मिलन हमेशा के लिये अमर हुआ. हमे भी ये गुण अपनाना चाहिये. किसी से भेदभाव नही करना चाहिये. सभी समान है. लोग आपका सम्मान करेंगे.
4) चरित्रवान बने
चोथी बात बहुत महत्वपूर्ण है. हमेशा चारीत्रावान बने. कभी अपनी मर्यादा न तोडे. रामजी भगवान होते हुये भी मनुष्य बनकर जिये. और जिये तो कैसे जिये, एक मर्यादा पुरूषत्तम बनकर जिये. उन्होने हमेशा सब का सम्मान किया. किसी का अपमान नही किया. प्रजा से अपने पुत्र जैसे व्यवहार किया. रावण एक अपराधी होते हुये भी, उसका सम्मान किया. उसे बार बार समजाया. मृत्यू के बाद ज्ञान ग्रहण करने के लिये लक्षमण को भेजा. और भी कही बाते है, जी भगवान राम जी से सीख सकते है.
5) रिश्तों का महत्व देजीयें
रिश्तों का महत्व जाणना है, तो रामजी से सिखीऐं. इनसे बडा उदाहरण आपको कही नही मिलेगा. उन्होने रिश्ते बनाये रखे. अपने भाईयों के बीच हमेशा प्यार रखा. पिता के वचन के खातीर वनवास चले. वनवास जाते समय लक्षण उनके साथ चले. वनवास जाने के बाद भरत ने सिंहासन छोडा. वन मे जाकर रहे. रिश्तों का ऐसा सुंदर नजारा स्वर्ग मे भी देखने नही मिलेगा.
निष्कर्ष
दोस्तों भगवान श्रीराम ईश्वर का अंश होते हुये भी, उन्होने कभी मनुष्य धर्म को नही छोडा. हमेशा उन्होने मर्यादा का पालन किया. अपनों से बडे लोगोंका का सम्मान किया. सबसे अच्छा व्यवहार किया. प्यार बाटा. प्रजा को अपने संतान की तरह पाला-पोसा. ऐसे महान गुण सब के अंदर होना बहुत जरुरी है. ताकी समाज मे शांती एवं एकता बनाये रखे.