मनुष्य के भीतर इच्छा शक्ति का संचार करना मतलब आसमान छूने जैसा है. क्युंकी इसी इच्छा शक्ति के बल पर मनुष्य अपनी असामान्य मंजील पा सकता है. दुखी व्यक्ती सुखी, कमजोर व्यक्ती शक्तिमान, इसी इच्छा शक्ती के आधार पर बन सकता है. कहने की बात यह है की, जिसके पास इच्छा शक्ती होती है, वह कठीण से कठीण काम को आसानी से करने मे सक्षम होता है. इतनी ताकद इच्छा शक्ती मे होती है. बस आपको उसको जगाने के लिये आत्मविश्वास बढाने की जरुरत है.
थॉमस एडीसन का नाम सुना होगा, आज दुनिया मे घर घर जो बल्ब दिखते है, उस अविष्कार के यह जन्म दाता है. लेकीन उन्होने यह अविष्कार किस स्थिती मे किया था, यह शायद ही लोगोंको पता होगा. थॉमस एडीसन पढाई मे कमजोर थे, इसलिये टीचर के साथ विद्यार्थी भी उनका मजाक उडाते थे. उनको मंदबुद्धि कहकर स्कूल ने क्लास से बाहर निकाला. लेकीन यह बंदा चूप नही बैठा. अपनी कमजोरी को ढाल बनाके, अपने दृढ इच्छा शक्ती के बल पर ९९९९ बार अपयश होने के बाद, उसने बल्ब का अविष्कार किया. उनको यह बल्ब का अविष्कार करते समय बहुत से काठीणाई का सामना करना पडा. उनको ताने सुनने पडे. लेकीन वह रुके नही. अपने लक्ष तक पहुंचने के लिये उन्होने बहुत मेहनत की. तब जाकर उनको मेहनत फल मील गया. और उन्होने यह सब अपने इच्छा शक्ती के बल पर पुरा किया था.
और भी ऐसे लोग है, उन्होने अपने कमजोरी से हार कर नही, बल्की उसको ढाल बनाके अपने लक्ष तक पहुंचे है. उनकी यह इच्छा हर एक के लिये प्रेरित करती है. जो लोग अपनी कमजोरी का ढिंडोरा पिटते हुये लोगोंको बताते है, की मै गरीब नही होता तो मै यह करता, वह करता. मै विकलांग नही होता तो सबसे आगे जाता. लेकीन मै सभी को कहना चाहुंगा की, विकलांग हमारी कमजोरी नही है, बल्की हमारी सोच और हमारे विचार कमजोर है. दुनिया मे आपको एक भी ऐसा व्यक्ती नही मिलेगा, चाहे वह स्त्री हो अथवा पुरुष. सब मे कमी होती है. लेकीन जीन लोगों मे दृढ इच्छा शक्ती होती है, वह विकलांग होने के बाद भी यशस्वी होते है. और दुनिया के लिये प्रेरणा स्थान बनकर उन्हे मार्ग दिखाते है.
एक पौराणिक कहानी आपको बता देता हु. शायद आपने सुनी होगी. लेकीन आपने उस पर गौर नही किया होगा. महाभारत मे एकलव्य का नाम सुना होगा. उसको धनुर्विद्य बहुत ही पसंद थी. लेकीन उसको शिकाणे के लिये गुरु नही मील रहा था. तब उसको गुरु द्रोण के बारे मे पता चला, की गुरु द्रोण धनुर्विद्या शिकाते है. इसलिये उसने उनके पास जाने का निर्णय लिया. एकलव्य गुरु द्रोण के पास पहुंचता है और अपना परिचय देता है. और विनंती करता है की, वह उसके गुरु बने. लेकीन गुरु द्रोण ने स्पष्ट शब्द मे कहा की, ” मै राजकुमारोकों ही धनुर्विद्या शिकाता है. तुम शुद्र हो इसलिये मै तुमे धनुर्विद्या का ज्ञान नही दे सकता.”
गुरु द्रोण ने ना कहने के बाद, एकलव्य अपने लक्ष को हासील करने के लिये, मेहनत को ही हरा दिया. उसकी यह मेहनत आपको जरूर प्रेरित करेगी. गुरु द्रोण ने ना कहने के बाद एकलव्य को बहुत दुख हुआ. लेकीन उसकी दृढ इच्छा शक्ती इतनी थी की, वह धनुर्विद्या का ज्ञान प्राप्त करने के लिये अभ्यास करने लगा. अभ्यास के लिये गुरु होणा जरुरी है, इसलिये उसने गुरु द्रोण की मिट्टी की मूर्ति बनाई. और मूर्ती को सामने रखकर धनुर्विद्या का अभ्यास करने लगा. उसके इस मेहनत मे दृढ इच्छा शक्ती इतनी थी की, उसने शब्द भेदी बाण की विद्या प्राप्त की. इस विद्या में बिना देखे ही महसूस करके किसी भी लक्ष्य को भेदा जा सकता है. और महत्व पूर्ण बात यह है की, गुरु द्रोण के किसी भी शिष्य को इस विद्या के बारे मे पता नही था.
एक दिन एकलव्य सराव करते समय उसके पास एक कुत्ता आता है. वह कुत्ता बार बार भोक रहा था. इसी समय एकलव्य ने एक साथ सात तीर अपने धनुष्य से उसको कही भी चोट न करते हुये उसके मुह मे भेद दिये. वह कुत्ता मुह मे तीर लेकर द्रोण के पास जाता है. कुत्ते के मुह मे सात तीर देखकर वह चौंक गये. वह सोच मे पडे की, एक साथ सात तीर कैसे कोही मार सकता है? इसलिये वह कुत्ता जीस रास्तेसे आया था, उसी रास्ते से एकलव्य के पास पहुंचे. वहा उन्होने देखा की, उनके मिट्टी की मूर्ती के सामने एक लडका धनुर्विद्या अभ्यास कर रहा है. उसकी यह धनुर्विद्या देखर गुरु द्रोण भी चौक गये. उन्होने एकलव्य से बोला, “तुमने यह विद्या बीना गुरु के कैसी प्राप्त की?” उसपर उसने कहा “मैने आपके मूर्ती को सामने रखकर धनुर्विद्या शिक रहा हु.” यहा निसंदेह आपको एकलव्य की दृढ इच्छा शक्ती का परिचय आया होगा. अगर इच्छा शक्ती भरपूर हो. और उसके साथ मेहनत करते है. तो आपको कोही भी सफल होणे से रोख नही सकता.
दृढ इच्छा शक्ती एक ऐसी शक्ती है, जो राख से मनुष्य को उपर उठने की अधभूत शक्ती प्रदान करती है. अगर आपके सौ दु:ख है, लेकीन उसमे आपके पास दृढ इच्छा शक्ती हो, तो आप उस सौ दु:ख से भी बाहर निकलोगे.
अपने अंदर दृढ संकल्प कैसे ला सकते है?
दृढ इच्छा शक्ती को जगानां कोही कठीण बात नही है. बस उसको जगाने के लिये आत्मविश्वास और निरंतर मेहनत चाहिये. एक बार यह दो चीजे हासील की, तो दृढ इच्छा शक्ती अपने अंदर लाने के लिये कोही आपको रोख नही सकता. हा.. लेकीन आपको यह दो चीजे हासील करने के लिये, अपने लक्ष को केंद्रित करना होगा. उसमे निरंतर अभ्यास करना होगा. और तब तक यह चालू रहेगा, जब तक आप अपने लक्ष को पा नही सकते.
दुसरी बात है, अपने दृढ इच्छा शक्ती को जगाने के लिये, अपने मन को स्थिर करना है. मन ही सबका राजा है, वह सभी को अपना दास बनाना चाहता है. एक बात जरूर ध्यान मे रखिये, मन जरूर आपका एक भाग है, लेकीन उसका आप गुलाम मत बनिये. बल्की आप उसे वश मे केजीये. यह जब आप शिखोगे, तब आपको कोही भी शक्ती आपकी मंजील पाने के लिये रोख नही सकती.