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प्रदूषण पर निबंध – Essay on Pollution in Hindi

प्रदूषण एक समस्या :- अपने देश मे ही नही, बल्की पुरे विश्व मे प्रदूषण चिंता का विषय बना है. इस समस्यापर लोग बहुत बाते तो करते है, लेकीन उसपर काम करने का समय आता है, तब वहासे भाग जाते है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो, आगे आनेवाली पिढी को मौत के कुवे मे ढकलने जैसा होगा. तब वही पढी हमारे नाम से गंदी गंदी बाते करके, गालियां देते रहेंगे.

जाणते है प्रदूषण के प्रकार कितने होते है?

प्रदूषण कही प्रकार के होते है. उनमे से पर्यावरण को हानी देणेवाले मुख्य प्रदूषण है, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनी प्रदूषण. इन प्रदूषण के वजह से लोग अपने ही पैर पर कुल्ल्हाडी मारते आ रहे है. इन प्रदूषण के वजह से कही खुन्कार बिमारीयोंने अपना बस्तान करके रखा है. छोटे से लेकर बडो तक लोग इन बिमारीयोंके शिकार बनते जा रहे है. जहा पहले लोगोंकी औसत आयु 70-90 तक होती थी, वही आयु अभी 60-70 तक पहुंची है.

हमारे देश की बात की तो, हर दिन कही लाखो टन कचरा निर्माण होता है. उस कचरे को सही तरीके से नष्ट किया नही जाता. उस वजह से कही दिन कचरा पडा रहने से, वहा बेक्टेरिया जन्म लेते है और वह हवा के माध्यम से हम तक पहुंचते है. और आगे उन्हे जो करना है वह आराम से करते है. हम सिर्फ डॉक्टर के पास जाकर पैसा बरबाद करते है और कुछ नही. और आखिर वह हमे इस दुनिया से लेकर दुसरी ही दुनिया मे लेकर जाते है.

जल प्रदूषण हमारे देश का सबसे बडा चिंता का विषय है. हम जो रोज पानी का इस्तेमाल करते है, वह पानी नदी – नालों के माध्यम से पुरे शहर मे भटकता रहता है. कही नालें खुले होने से उनमे खतरनाक किटाणू जन्म लेते है. अलग अलग जाती के किटाणू अलग बिमारीयांको जन्म देते है और वही किटाणू हमे भोजन बनाके उस बिमारीयांको संक्रमण करते है. बाढ के समय यह गंदा पानी पुरे शहर, खेतों मे फैलता है और पानी मे मौजूद किटाणू और खेतों मे स्थित गंदे पानी के किटाणू अनाज के माध्यम से हमारे शरीर मे प्रवेश करते है और इससे हम बिमार पडते है.

प्रदूषण से इतना कुछ होने के बावजुद लोग गैर जिम्मेदार है. कुछ करते नही, बस.. सरकार को दोष देते रहते है. खुद गंदगी निर्माण करते है और गंदगी का इल्जाम सरकार पर डालना आज की लोगोंकी फितरत बनी है. इस पर हर एक को जरूर विचार करना चाहिये.

प्रदूषण पर रिसर्च करनेवाली संस्थाओं ने एक रिपोर्ट जारी किया है, अगर ऐसा ही चलता रहा तो, आगे धरती पर रहना मनुष्य के लिये नही बल्की साथ ही अन्य जीवों को भी कठीण होगा. इस भयानक महामारी से सभी जीव शिकार बनेंगे. कूछ प्रगत देश कुछ हद्तक काम कर रहे है, लेकीन कही ऐसे देश है, उनको इस बात से कुछ फर्क ही नही पड रहा है.

प्रदूषण का वैज्ञानिक अर्थ क्या है?

हम सब जीव प्राकृतिक संतुलन के वजह से जीवन जी रहे है. इसका मतलब जब तक प्राकृतिक संतुलन सही से चल रहा है, तब तक हमे कोही धोका नही है. इससे प्रदूषण की यह डेफीनेशन होती है, मनुष्य का प्राकृतिक संतुलन मे हस्तक्षेप के वजह से जो दोष निर्माण होता है, उसे हम प्रदूषण कहते है. जैसे, कारखानों के वजह से जल प्रदूषण होना, ध्वनी प्रदूषण होना और वायु प्रदूषण होना.

प्रदूषण के प्रकार – विस्तार से

प्रदूषण के मुख्य तीन प्रकार – 1. वायु प्रदूषण 2. जल प्रदूषण 3. ध्वनी प्रदूषण

1. वायु प्रदूषण -:

वायु प्रदूषण ज्यादा तक शहरों मे होता है. मोटार – वाहनों से निर्माण होने वाला धुआं, कारखानों से निर्माण होने वाला धुआं, वायु प्रदूषण का मुख्य कारन है. इससे लोगोंको सांस लेने मे दिक्ख्त आती है. उनको फेफडो की बिमारीयां हो जाती है. कही असाध्य रोग भी हो जाते है. जो बहुत खतरनाक होते है. उनपर इलाज सही वक्तपर नही किया गया, तो मरीज की जान भी चली जा सकती है.

2. जल प्रदूषण -:

कारखानों का दुषित पानी नदी – नालों मे जाकर जल प्रदूषण निर्माण करता है. यह पानी किसी ना किसी माध्यम से हम तक पहुंचता है और हमे कही बिमारीयां हो जाती है. इसकी मुख्य वजह बाढ का पानी भी होता है. यह पानी खेतों मे मिलकर अनाज के माध्यम से हम तक पहुंचता है.

3. ध्वनी प्रदूषण -:

ध्वनी प्रदूषण की मात्रा दिन भर बढती जा रही है. जैसे जैसे विज्ञान प्रगति कर रहा है, वैसे वैसे ध्वनी प्रदूषण बढता जा रहा है. ध्वनी प्रदूषण कारखानों का शोर, मोटर -वाहनो का शोर, कार्यक्रमो मे लगाये लाउड स्पीकर से बडा ध्वनी निर्माण होता है. जीससे लोगोंके कान मे बहुत दर्द होता है.

प्रदूषणों के सभी प्राणीयोंपर होनेवाले दुष्परिणाम:

प्रदूषण के घातक दुष्परिणाम मनुष्य के उपर ही नही, बल्की सभी धरतीतीपर स्थित प्राणियों पर ही दिखने को मिलता है. प्रदूषण के वजह से मनुष्य को शुद्ध जल और अच्छा खाना और खुली हवा प्राप्त नही होती. वायु प्रदूषण के वजह से सभी को सही से सांस लेना नही आती. फेफडो के कही बिमारीयां लग जाती है. इसका सीधा सीधा असर प्रकृती पर ही दिखता है. आजकल मौसम का चक्र बिघडता जा रहा है. जीससे वातावरण मे कही बदलाव होते है. जीस कारन मनुष्य का स्वास्थ्य बिघडता रहता है.

प्रदूषण से बचने के लिये कौनसे उपाय करना चाहिये?

प्रदूषण से बचने के लिये पहले हमे हमारी मानसिकता बदलनी होगी. प्रदूषण को रोखने के लिये जो.. जो उपाय होंगे वह बिना आलस्य करना चाहिये. इसलिये पहले अधिक से अधिक पेड लगाने होंगे. शहरों मे कारखानों को दूर रखना चाहिये. साथ ही उनसे निकलनेवाले पानी को नष्ट करने के उपाय करने होंगे. ध्वनी प्रदूषण से बचने के लिये लाउड स्पीकर का आवाज सीमित करना चाहिये. बल्की मेरा मानणा है, सिर्फ अच्छे काम के लिये लाउड स्पीकर सीमित आवाज लगाये, ना की बिना वजह लगाना चाहिये..

जरूर अपना ध्यान रखे….

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