बच्चों पर जन्म से ही अच्छे और बुरे प्रभाव पडते है. यहा प्रभाव का असर कीस बच्चे पर अधिक रहता है, ये पूर्णतः बच्चे के माता-पिता और समाज पर निर्भर रहता है. लेकीन अधिकतम उसके माता-पिता का रोल अधिक होता है.
भारतीय बच्चोंपर सरकार का ध्यान बिलकुल नही होता है. समाज अधिक-तर ताने देणे के शिवाय कुछ भी नही करता है. उस वजह से बच्चों की वृद्धी और विकासपर कही कारक प्रभावित करते है. ये कारक घर के अंदर या बाहर के हो सकते है.
जाणते है, वह कौनसे कारक है, जो बच्चों की वृद्धी और विकास को प्रभावित करते है.
Factors Affecting the Growth and Development of Children in Hindi
1) शिशु को अनुकूल वातावरण न होना
बच्चों पर आस पास का वातावरण अनुकूल होना बहुत जरुरी है. ये कारक बच्चों के दिमाक पर भारी असर करता है. जैसे कहां जाता है, मनुष्य जिसे ग्रहण करता है, उसी तरह वह अपना स्वभाव को निभाता है. इस तरह वातावरण गलत लोगोंसे भरा हुआ है, तो बच्चों का दिमाक उसी तरह काम करेगा और अच्छा हुआ तो दिमाक भी अच्छा काम करेगा.
2) कुपोषण
भारत जैसे विकसनशील और गरीब देश के बच्चों के जीवन पर कुपोषण का अभिशाप है. और आजतक वह बिलकुल कोही हटा नही पा रहा है. बहुत बुरा लगता है. इसका असर बच्चों के शरीर और दिमाक पर भी पडता है. उनका स्वास्थ्य भी बिलकुल खराब होता है. उन बच्चों को देखतेही आप को हड्डीयों का साफला नजर आयेगा.
3) अच्छा परिवार न होना
आप ऐसा कह सकते है, अच्छा परिवार वहा बच्चे भी इमानदार और सुसंस्कृत हो जाते है. और अगर परिवार मे ही झगडा, बिगडे हुये लोग होंगे तो.. बच्चों के दिमाक पर बुरा असर होगा. और यही बच्चे आगे जाकर समाज मे गंदगी फैलाने मे कारन बनते है.
4) प्रदूषित वातावरण
बच्चों का जन्म अगर प्रदूषित वातावरण होता है, तो निसंदेह उस बच्चों के शरीर पर बुरा असर दिखने को मिलेगा. ऐसे बच्चे मरीज की तरह दिखते है. परिणामी ऐसे बच्चों के पास बौद्धिक क्षमता होने के बावजुद अधिक समय तक किसी से लढ नही पाते है.
5) व्यायाम और अन्य क्रियाशीलता का अभाव
शरीर को सुदृढ बनाने व्यायाम, योग और अन्य काम की आवश्यकता होती है. बच्चों के व्यायाम के साथ आउटडोर खेल, मौज मस्ती, अच्छे दोस्तों का सहवास भी होनां जरुरी है. इसके विपरीत बच्चे कम क्रियाशील, तुरंत थकान महसूस होना आदि. कारनों से परेशान दिखते है.
6) शिक्षा
शिक्षा बाघिन का दूध कहा जाता है. लेकीन आपके पास शिक्षा का आभाव हो तो, आपकी वृद्धी और विकास कैसे होगा? ऐसे ही आजकल हमारे समाज के बच्चों के साथ होता आ रहा है. शिक्षा समाज मे बराबर नही मिल रही है. इसमे अनजान बच्चों का भविष्य खाई मे गिर रहा है.
7) अनुवांशिक कारक
अनुवांशिक कारक भी बच्चों के विकास और वृद्धी के बीच आ रहा है. ये कारन फिसिकाल और मानसिक भो सकते है. दोन्हो का भी प्रभाव बच्चों के दिमाक और शरीर के उपर पडता है.
8) आर्थिक कारन
बच्चा कितना भी स्मार्ट हो, अगर उसके पास पैसा न हो, तो आज भारत जैसे देशों मे उसका भविष्य बहुत बुरा होगा. आर्थिक कारक भी एक बडा कारक जो बच्चो के भविष्य के बीच आ रहा है.
9) बुद्धिमत्ता
बौद्धिक क्षमता का अभाव भी बच्चों की वृद्धी और विकास मे दरार लाने का काम करती है. ऐसे बच्चे कितना भी धनवान हो, अगर उनके पास बुद्धी ही नही है, तो ऐसे बच्चे प्रतिष्टा और पैसों का संचय कैसे करेंगे? उनके पास जमा वह पैसा कुछ ही दिनों मे गवां देंगे.
निष्कर्ष
बच्चों का भविष्य देश, समाज और माता-पिता के हात मे होता है. इनमे से देश का छोड दिया जाये, तो समाज का और माता-पिता का मुख्य कर्तव्य बनता है, की वह अपने बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये हर समय प्रयास करते रहना चाहिये. कारक कितने भी हो सकते है. लेकीन आप उनके साथ खडे रहेंगे, तो.. बच्चों को आगे बढने के लिये ताकद मिलेगी.
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