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कामयाबी के लिये मार्क्स जरुरी है? Marks are Important for Success?

कामयाबी के लिये मार्क्स जरुरी है? इस सवाल पर हर किसीका जवाब अलग अलग होगा. लेकीन क्या कामयाबी के लिये मार्क्स जरुरी है? अगर “हा” कहे तो कैसे? और “ना” कहे तो कैसे? कामयाबी एक ऐसा शब्द है, उसे हर कोही पाना चाहता है. लेकीन क्या कामयाबी ऐसे ही सबको मिलती है, ..बिलकुल नही. यहा कही लोगोंका सवाल होगा की, क्या कामयाबी के लिये पढाई के साथ अच्छे मार्क्स लाना जरुरी है? क्या हम मार्क्स के बिना कामयाबी हासील कर सकते है?

अगर देखा जाये तो जीवन मे पढाई करना बहुत जरुरी है. क्युंकी पढाई के बिना हम ज्ञान प्राप्त नही कर सकते. नई नई टैकनोलजी का अविष्कार नही कर सकते है. इसलिये हमारे जीवन मे सकारात्मक विचार करने के लिये पढाई बहुत जरुरी है.

सफलता पाने के लिये पढाई जरुरी है?

इस प्रश्न के समाधान तक पहुँचने के लिए, पहले हमे पढाई का मतलब समजना होगा. लोग पढाई का मतलब परीक्षा मे अच्छे मार्क्स लाना और बोर्ड मे मेरीट मे आना समजते है. अगर लोग ऐसा सोच रहे है, तो वह पुरी तरह गलत है. अगर आप किताबी भाषा का उपयोग करके आपने परीक्षा मे अच्छे मार्क्स लाये भी, तो इसका मतलब यह आपका ज्ञान नही है. यह तो आपने दुसरोंके लिखे हुये ज्ञान को, उसकी कॉफी करके अपने शब्दो मे उस पेपर मे लिखते है. मतलब आपका उसमे कही भी ज्ञान अथवा मेहनत दिखती नही है. परीक्षा मे अच्छे मार्क्स सिर्फ आपको उस साल के लिये सीमित है. अगले साल आपको उस मार्क्स का कोही भी उपयोग नही है.

जीवन मे आपको कामयाबी के शिखर पर पहुंचना है, तो पढाई मे खुद के विचार डालना होगा. खुद के विचार और मेहनत एकसंग हो जायेगी, तब आप कामयाबी के पहले पढावपर पहुंचेगे. यहा आप अपने विचारोंको ज्ञान और मेहनत के मदद से अपने मंजिल के रास्ते पे उसका उपयोग करेंगे और अपने लक्ष के सही रास्ते पर अग्रेसर होंगे.

बहुत से ऐसे माता-पिता है, जो अपने  बच्चों पे अच्छे मार्क्स के लिये दबाव डालते है. उनपर अपने उपकारों और मेहनत का वास्ता देकर इमोशनल टॉर्चर करते है. बच्चे बिचारे अपने मन को और अपने खुसियों को दबाकर दुख को अपणाते  है. यह इमोशनल दबाव आगे जाकर बच्चों के कामयाबी के बीच दिवार बनती है. यह दिवार नकरात्मक विचारों से इतनी मजबूत बनी होती है, की बच्चे बेचारे इसमे फस जाते है. उन्हे परीक्षा मे अच्छे मार्क्स मिलते है, लेकीन Professionally और Practically वह बहुत पीछे रहते है. उनको आदत पडी रहती है, सिर्फ परीक्षा मे पेपर लिखने की. ना की उस विषय के बारे मे Practically सोचने की.

सफलता के सही नियम

मै आपको उदाहरण देकर समजाता हु. पाणी मे तैरने के लिये उस पाणी मे पहले उतरना जरुरी है. तभी आपको आत्मविश्वास होता है, की तहरने के लिये हात और पैर को कैसे चलाना है? लेकीन आप पाणी मे तहरने के बजाय बाहर खडे होकर सिर्फ सोचते रहेंगे, की पाणी मे तहरने के लिये हात से पानी पीछे फेकना है और पैर को हिलाना है. अगर देखा जाये तो प्रक्टिकल उसमे काम करना और सिर्फ उसके बारे मे सोचना इसमे बहुत अंतर है. इसमे आप ही निर्णय लेजिये की सबसे अच्छा कौन तहरना शिकेगा, पाणी मे प्रक्टिकल काम करने वाला या बाहर से सिर्फ सोचने वाला.

आपने आमीर खान की 3 Idiots और तारे जमीन पर फिल्म देखी होगी. यह फिल्मे आपको कामयाबी के रास्ते पे चलने के लिये सही उदाहरण है. कामयाब होने के लिये पुस्तकी ज्ञान नही बल्की उसमे प्रक्टिकल कडी मेहनत होनी चाहिये. अपने लक्ष को धीमाक मे ऐसे बिठाओ की, आपके सामने कितनी भी संकट आ जाये, आपको सिर्फ मेहनत करते रहना है. आगे आप देखेंगे लक्ष नजदीक आ रहा है.

कामयाब होने के लिये, अपने सही लक्ष के साथ अपने पसंदी क्षेत्र मे काम करना बहुत जरुरी है. कुछ बच्चे ऐसे होते है, उनका पसंदी क्षेत्र कुछ होता है और काम अलग ही क्षेत्र मे करते है. अब मुझे बताओ की, आपको जिलेबी पसंद है और आपके सामने कुछ दुसरा ही पदार्थ रखा है, तो आपको वह पसंद आयेगा? बिलकुल नही.. उसी तरह आपका पसंदी क्षेत्र कुछ अलग है, लेकीन आप काम अलग ही क्षेत्र मे कर रहे है, तो आप कामयाब कैसे होंगे? आप काम जरूर उसमे करते होंगे, लेकीन वह काम आप अपने ख़ुशी के लिये नही, बल्की पैसो के लिये या परिवार के खुशी के करते होंगे. मै आपको बता देणा चाहता हु की, अपनी खुशी को छोडकर आप दुसरे किसी भी क्षेत्र मे काम करे, आपको वहा खुशी का एहसास नही होगा. आप कुछ समय के बाद वह काम छोड देंगे.

मै आपको सही उदाहरण देता हु, अगर सचिन तेंडूलकर क्रिकेट छोडकर अन्य किसी दुसरे क्षेत्र मे अपना करियर चुणते, तो क्या वह आज जैसे महान और सफल इंसान बनते?. यहा जवाब बिलकुल ना होता. वैसे तो इनकी पढाई भी 10 वी तक ही हुई है. लेकीन उसके बावजुद वह एक सफल इन्सान है. इसका मतलब यह नही की, पढाई की आवश्यकता नही है. पढाई भी बहुत जरुरी है. अगर आपको शिक्षात्मक क्षेत्र मे काम करना पसंद है, तो आपको पढाई करना बहुत जरुरी. मैने यहा सफलता के विषय पर चर्चा हो रही थी, इसलिये आपके सामने सचिन तेंडूलकर का उदाहरण दिया. वैसे कहा जाये तो शिक्षा बहुत जरुरी है, लेकीन मार्क्स पर जो सबका बोलबाला चल रहा है, वह गलत है. इससे बच्चे कन्फुज हो जाते है. उन्हे समज नही आता की, करना क्या है? इसमे वह डर जाते है और वह सफलता के रास्ते से दूर हो जाते है.

लास्ट लेकीन महत्वपूर्ण बात, कामयाब होणे के लिये के अच्छा इन्सान होणा भी बहुत जरुरी है. इंसान के पास कितना भी पैसा हो, लेकीन वह अच्छा इंसान नही है, तो वह कभी कामयाब हो नही सकता. वह हमेशा लोगोंके नजरों मे एक गंदा इंसान ही रहेगा. इसलिये सभी माता-पिता को बताना चाहता हु की, बच्चोंको अपने साथ दुसरे के बारे मे सोचने के लिये कहो. क्युंकी आपका बच्चा आगे जाकर समाज का एक जिम्मेदार इंसान बनणे वाला है. इसलिये सामाजिक महत्वपूर्ण घटनाओंको समजने के लिये, उसे दुसरोंको समजने के लिये प्रेरित करो. बच्चोंको पढाई के साथ समाज मे होने वाले घटीत और अघटीत घटनाओंके बारे मे ज्ञान लेने के लिये प्रोस्ताहीत करो. उन्हे उनके पसंदी क्षेत्र मे चुनने की अनुमती देजीये. उनकी ख़ुशी किस क्षेत्र मे है उसकी जानकारी लेजीये और उनको अपने ख़ुशी के खातीर उनपर इमोशनल दबाव मत डालिये. यह जब आप करेंगे तब आप देखेंगे की, बच्चों मे बौद्धिक और विचार करने की क्षमता बढे रही है. वह हजारो बच्चों मे अलग ही बच्चा दिखेगा.

मार्क्स जीवन को कभी बदल नही सकते, बदल सकते है, सिर्फ आपके अच्छे विचार और अपने काम पर फोकस. ऐसे इंसान को कामयाबी जल्दी प्राप्त होती है. 

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