आतंकवाद एक भीषण संकट मानवजाती पर भयानक जहरीली साफ की तरह मंडरा रहा है. दुनिया उससे भयभीत हो चुकी है. कब क्या होगा किसी को पता नही. सभी देश अपने अपने स्तर पर, उससे लढणे की कोशिश कर रहे है. लेकीन अभी तक किसी को कामयाबी नही मिल रही है. इसमे हमारा भारत देश भी इस आतंकवाद से परेशान है.
मनुष्य जाती को लगी यह कीड दिन भर दिन बडती जा रही है. इस लगी कीड ने कही निष्पाप घरों को तबाह किया है. मां बाप से बच्चे अलग हुये है, तो बच्चों से मां बाप अलग हो चुके है. कोही अपना भाई गवां बैठे है, तो कोही अपनी बहन गवां बैठा है. ऐसा दर्द उनको मिला है की, उसकी गिनती करना बहुत मुश्कील है.
अगर देखा जाये तो, वह आतंकवादी भी मनुष्य ही है. फरक इतना है की उनका जमीर मर चुका है. उन्होने मनुष्य जाती का स्वभाव छोडकर क्रूर शैतानों का स्वभाव अपनाया है. उनको धीमाक का पार्ट तो होता है, लेकीन उस धीमाक मे दया, क्षमा और शांति के विचार नही होते है. इसलिये वह जानवरों की भांती हर किसी का खून बहाते रहते है. उनको हर किसी को मारना मतलब भगवान को खुश करने जैसा होता है.
अपने देश मे मुंबई पर जो आतंकवादी हमला हुआ, उस हमले मे कितने लोग मारे गये थे. कितने लोगों ने अपने आंखों के सामने अपने ही लोगोन्कों मरते हुये देखा था. कैसा लगा हुआ होगा उनको. शायद उनका दर्द किसी भी शब्द मे बया नही कर सकते. उस हमले मे कितने लोगोंका घर संसार तबाह हुआ होगा. और जो भी बचे होंगे उनको वाफस खडा होणे मे कीस प्रकार दिख्ख्ते आयी होंगी, या आ रही होंगी. यह सिर्फ उनको ही पता होगा.
इस भीषण संकट मे हमे क्या करना होगा ?
यह भीषण संकट हमारे अकेले की, या कुछ लोगोंतक सीमित नही है. बल्की यह पुरा सामाजिक याने सभी स्तर के लोगोंका प्रश्न है. इसलिये सभीको एक साथ होकर इस संकट से हमे लढना होगा. हमे उनको दिखाना होगा की, हम भी आपसे लढणे के लिये तयार है. एक जिम्मेदार नागरिक होणे के नाते, हमे आजू बाजू मे होणे वाले हिंसक गतीविधीयों के बारे मे जागरूक रहकर, हमे देश का साथ देना होगा. समाज मे ऐसे गंभीर अपराध मे अपने भी लोग शामिल रहते है. यह आज के समाज का सबसे बडा बुरा सच है. इससे हमे जरूर शर्मिदा होणा चाहिये. ऐसे लोगोंको समाज के सामने लाने के लिये हम सब का कर्तव्य है की, उनको पकडणे मे हमे कानून की मदद करनी होगी.
आतंकवादी सोच को नष्ट करे
यह आतंकवादी भी समाज का ही हिस्सा होते है. मनुष्य की गलत सोच और गलत ज्ञान ही उनको ऐसे गलत काम करणे के लिये प्रेरित करते है. इसलिये ऐसी सोच को नष्ट करणे के लिये समाज का और उस देश के कानून का कर्तव्य है की उनको सही मार्गपर लाने के लिये और खास करके इस प्रकार की सोच रखने वाले लोगोंको सही समय पर समजाकर, या सही समय पर दंड देकर, ऐसे अपराधियों को लगाम करना चाहिये.
निष्कर्ष
आतंकवाद एक गंभीर समस्या सबके सामने खडी है. इस समस्या का समाधान भी उतना ही कठीण है. क्युंकी इसका समाधान मनुष्य के विचार और धीमाक से जुडा हुआ है. ऐसे विचार जल्दी बाहर निकालना बहुत कठीण होता है. लेकीन हर एक समस्या का समाधान जरूर होता है. बस जरुरी है, उस समाधान का उपयोग किसी भी हालात मे करना जरुरी है. इसलिये समाज मे रहने वाले लोग और न्यायतंत्रको एक साथ मिलकर काम करना चाहिये. दंड विधान कौनसा भी. साभिको न्याय बराबर मिळना चाहिये. तभी आतंकवाद जैसी समस्या दूर हो सकती है.
आपको मै बतादु, समस्या अधिकतक अपने ही लोग खडे करते है. यह आज के समाज का कडवा सच है. वरना किसी की क्या औकात है, बाहर से कोही आकर आपको तकलिप दे. बात थोडी कडवी है, लेकीन सच है.
इसलिये जितना हो सके ऐसे विचारों से बचे और अच्छा इन्सान बनकर समाज की सेवा करे.