मनुष्य सफलता के पीछे हमेशा भागता रहता है. आप ऐसा भी कह सकते है, जैसे कुत्ता पीछे लगा है और आप बिना किसी सोचे इधर उधर भाग रहे है. ऐसे समय रास्ता मिलना कठीण हो जाता है और कुत्ता आपको काट के वहासे निकल जाता है.
इस कहानी का मतलब इतना ही है, की आपके पास समाधान होते हुये भी, हालात के सामने घुटने टेकते हुये शरण जाते हो, लेकीन आप ये भूल जाते है, की उसके सामने डटकर सामना करोगे तो वह भाग जायेगा.
इस उदाहरण को विस्तार से जाणणे के लिये, हम एक कथा के माध्यम से आपको समजाते है. ये कथा छोटीसी है लेकिन आपको कुछ ना कुछ देकर जरूर जायेगी.
ये कथा है, एक बुढे मनुष्य की और बिगडे हुये बच्चों की. जंगल मे एक विद्वान बुढा मनुष्य रहता था. ये मनुष्य वाकही विद्वान था. आसपास के कही गावों मे इसके बुद्धिमानी की प्रशंसा होती थी. इस वजह से लोग उसका सम्मान करते थे. उसकी ये खाशियात थी की, वह किसी भी सवाल का जवाब दे सकता था. दूर दूर से लोग अपने सवालों के जवाब जाणणे के लिये उसके पास आते थे. लेकीन कहते है ना, अच्छाई बुरे लोगोंके मन को हमेशा सताती है. इस वजह से आस पास के बुरे लोग इस विद्वान बुढे मनुष्य से ईर्ष्या करते थे.
एक गाव मे दो नादान और दुसरों का हमेशा मजाक करने वाले यंग बच्चे रहते थे. वह हमेशा अच्छे लोगोंका मजाक करते थे. इसी कारणवंश, उन्हे उस विद्वान बुढे से ईर्ष्या होणे लगी. इस वजह से उन्होने उस बुढे की परीक्षा लेने की सोचा. उन्होने सोचा, उस बुढे को ऐसे सवाल पूछते है, जीससे वह घबरा जाये. और वह हमारे सामने हार माने. इसलिये वह सोचने लगे. अंततः उनको एक खतरनाक योजना सूझी.
इन बच्चों ने तय किया कि, हम एक तोता लेकर उस आदमी के पास जाएंगे और तोते को हमारे पीठ के पीछे पकड़कर उससे पूछेंगे, ‘हमारे हाथ में क्या है?’ वह जरूर उसका जवाब पक्षी देंगे. लेकिन वह कोई कठिन सवाल नहीं था’. वे दोनों एक-दूसरे की ओर देखने लगे और मुस्कुराते हुए हम उससे एक और प्रश्न पूछेंगे कि हमारे हाथ में कौन सा पक्षी है? और वह तुरंत कहेगा कि यह एक तोता है. लेकीन ये दोन सवाल तो आसान है. असल मे उसे लास्ट सवाल पुछंगे की, उनके हात मे जो तोता है, वह जिंदा है या मरा हुआ है. इसपर अगर उसने जिंदा कहां, तो तुरंत हम उस तोते की गर्दन दबाकर मार डालेंगे. इस चर्चा से वे बहुत प्रसन्न हुए. क्युंकी उन्हे अभिमान था की, वह बुढा मनुष्य आखरी तिसरे सवालों का जवाब दे नही सकता.
आखिर वह उस बुढे विद्वान मनुष्य के पास जाते है. और जैसे उन्होने सोचा था, उसी प्रकार वह उस बुढे मनुष्य को सवाल पुछते है.
पहला सवाल विद्वान मनुष्य से पुछते है. ‘ हमारे हात मे क्या है?’
वह मनुष्य तुरंत जवाब देता है. ‘पक्षी है’.
वह दुसरा सवाल पुछते है. ‘हमारे हात मे कौनसा पक्षी है?
वह बुढा मनुष्य जवाब देता है. ‘तोता है.’
अब आखरी सवाल था. वह सोच रहे थे की, अब इस सवाल का जवाब ये बुढा मनुष्य दे नही सकता. ये सोचते हुये उनके मन मे ख़ुशी दौड रही थी.
वह सवाल पुछते है. ‘हमारे हात मे जो तोता है, वह जिंदा है या मरा हुआ?’
इस सवाल का जवाब उन्हे सोच समजकर देणा था, इसलिये वह थोडी देर शांत रहते है और उन्हे कहते है. पक्षी जिंदा है या मरा हुआ, ये सब आपके उपर निर्भर है, कि इसे जिंदा रखना है या मरा हुआ.
उस विद्वान मनुष्य के अद्भुत ज्ञान को देखकर, वह नादान बच्चे चले जाते है और कभी उस विद्वान बुढे मनुष्य का मजाक बनाया नही. वाकही वह मनुष्य नाम से बडा विद्वान था. उसने सही मायने मे लोगोंको सीख दी है की सफलता का रहस्य बाहर किसी के पास नही मिलेगा. वह अपने अंदर खोज करोगे तो वह अवश्य प्राप्त होगा.
ये कहानी छोटीसी है लेकीन बहुत कुछ हमे सिखाती है. आज काल के बच्चों को इस कहानी से सिखना चाहिये. इधर उधर भटकने से अच्छा. अपने अंदर छुपे प्रतिभा को जगाऐं. आगे आप जरूर सफल बनेगे.